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Fundamental Analysis kya hai और long term investment करने के लिए इसे समझना क्यों आवश्यक है?

किसी नए Investor की सबसे बड़ी दुविधा यही रहती है कि वह कैसे जाने share market में कोनसी company का Share खरीदने पर उसे Profit होगा और किस Share को नहीं खरीदना चाहिए, पर Fundamental Analysis करके आप किसी Share की Actual Value को बड़ी आसानी से जान सकते हैं। 

यदि आप नहीं जानते कि Fundamental Analysis kya hai और इसे कैसे किया जाता है। तो यह लेख का अंत तक जरूर पढ़े, क्योंकि आज हम इस विषय पर बात करने वाले हैं जिसमें आप जानेंगे कि किसी Share का Fundamental Analysis कैसे करते हैं।, Fundamental Analysis  का आधार क्या है? और वह कौन कौन से Tool है जिनसे Fundamental Analysis किया जाता है। तो बने रहिए अंत तक। 

Fundamental Analysis kya hai

Fundamental Analysis एक Method है, जिससे किसी Share की Real Value या Real Market Price के बारे में पता लगाया जाता है। Fundamental Analysis मेथड का यूज करके यह पता लगाते हैं कि किसी Share कि इस समय जो Market वैल्यू है क्या वह इसके रियल वैल्यू से ज्यादा है या कम है और इसके आधार पर वह किसी को यह Share खरीदने या ना खरीदने की रिकमेंडेशन देते हैं। 

Fundamental Analysis किसी Share के Intrinsic Value को Measure करता है। और इसके लिए वह Share जारी करने वाली Company के Economic और financial Factors की Study करता है, अलग-अलग Tools के जरिए। 

Fundamental Analyst हर उस Aspect की Study करते हैं जिससे सिक्योरिटी या Share की वैल्यू प्रभावित होती है, फिर चाहे वह बहुत स्मॉल लेवल पर हो या बड़े स्तर, इसमें Company के इकोनॉमिक और Industry कंडीशन से लेकर मैनेजमेंट कितना प्रभावी है इस सब चीजों की भी Study की जाती है। 

Intrinsic Value क्या है? 

Intrinsic Value किसी भी Assets की Actual Worth बताती है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसका Market वैल्यू से कोई लेना देना नहीं होता। Market में भले ही कोई Share किसी भी दाम पर चल रहा हो, Intrinsic Value प्रभावित नहीं करता। इसीलिए एक एक्सपर्ट निवेशक हमेशा किसी भी Share या Company के Intrinsic Value को जानना जरूरी समझता है क्योंकि इससे यह पता चलता है कि Share Overvalued है या Undervalued. 

Fundamental Analysis का आधार क्या है? 

Fundamental Analysis के पीछे का जो primary assumption है, वह यह होता है कि कोई Share इस वक्त Market में जिस रेट पर Trade कर रहा है वह उसकी Actual Value नहीं है और इसकी Actual Value पता करने के लिए अलग अलग Tools का यूज किया जाता है और यही Fundamental Analysis का मुख्य काम भी है। 

इसको एक उदाहरण से समझते हैं। मान लीजिए कोई Company है जिसका नाम XYZ है। अब इस Company का Share इस वक्त ₹500 में Trade कर रहा है। 

अभी एक्सपर्ट इन्वेस्टर हमेशा यह चाहेगा कि उसे यह पता हो कि क्या उस Company में एक्चुअल में इतना दम है कि उसका Share ₹500 में ट्रेड कर सकता है और यहीं से शुरू होता है Fundamental Analysis.

एक एक्सपर्ट Analysis करके बताते हैं कि इस Share की Actual Value इस वक्त ₹700 है, यानी फिलहाल Market में यह Share अपनी Actual Value से ₹200 कम पर मिल रहा है। वही दूसरा एक्सपर्ट बताता है कि इस Share की Actual Value फिलहाल ₹800 है और अपने Original Value से इस वक्त Market में ₹300 कम में मिल रहा है। 

इस तरह अलग अलग एक्सपर्ट के Analysis को जानने के बाद उनका Average निकाला जाता है जैसे इसका Average निकालने पर पता चलता है कि इसकी Original Value 750 रु है और फिलहाल Market में जो Share है वह 250 रु कम कीमत में मिल रहा है। 

तो इससे यह पता चलता है कि फिलहाल Share Under Valued है। यानी वह अपनी Actual Price से कम Price में मिल रहा है, लेकिन उसकी Actual Valuation ज्यादा है। 

इसलिए हमेशा ऐसे Shares को खरीदने की सलाह दी जाती है, जो  Under Valued हो।  यह उम्मीद जताई जाती है कि एक दिन यह Share एक बार फिर से अच्छा परफॉर्म करने लगेगा लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि आखिर कब तक और इसका जवाब किसी के पास नहीं है।

हो सकता है अगले हफ्ते, अगले महीने का शायद 1 साल बाद भी वह समय ना आए या फिर हो सकता है इसके पहले ही आ जाए। 

Fundamental Analysis kaise kare

नीचे बताए गए पॉइंट्स के आधार पर आप किसी Company का Fundamental Analysis कर सकते हैं। 

Company को समझें

आप जिस Company के शेयर ले रहे हैं सबसे पहले उस Company को समझे कि क्या वह Company सही डायरेक्शन में काम कर रही है क्या वह जो डिसीजन ले रही है उसके फ्यूचर को ब्राइट बनाने वाले हैं या नहीं आप Company की वेबसाइट में जाकर उनकी Recent Activities को देख सकते हैं, उनके ब्रांड पार्टनर एवं प्रोडक्ट के बारे में अच्छे से समझ सकते हैं, उनके यहां work, Working Culture, Management और ऐसे तमाम इंफॉर्मेशन जो Company से जुड़े हैं उन्हें बारीकी से Obserb करें, यही आपका सबसे पहला काम है। 

COMPANY की Financial Report देखे

एक बार Company को समझने के बाद आपको इसके फाइनेंस से जुड़े Reports देखने होंगे जैसे balance sheet, profit-loss statements, cash flow statements, operating cost, revenue, expense आदि।

आप इस Company का compounded annual growth rate (CAGR) Evaluate करें, सेल्स और 5 साल के नेट प्रॉफिट को जरूर Evaluate करें, यदि यह अच्छा है तो यह Company ग्रो कर रही है।

Company पर कर्ज Check करें.

जिस Company के ऊपर ज्यादा कर्ज होता है उस Company की कोई भी सिक्योरिटी अच्छा परफॉर्म नहीं कर पाती इसलिए कोई भी शेयर खरीदने से पहले उस Company के क़र्ज के बारे में जरूर जानकारी इकट्ठा लें।

कभी भी किसी ऐसी Company के शेयर में बिल्कुल भी अपना पैसा निवेश ना करें जो बहुत ज्यादा कर्ज में डूबी हुई है। क्योंकि उसके दिवालिया होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। और किस Company पर कितना Debt है इसको नापने का बहुत ही आसान सा पैमाना यह है कि Debt:Equity हमेशा 1 से कम होना चाहिए। 

Company के Competitor देखे. 

Fundamental Analysis करते समय Company के शेयर में निवेश करने वाले उनके Competitor के बारे में भी जानकारी जरूर जुटा ले और उनके बीच एक तुलनात्मक अध्ययन करके यह देखें कि आप जिस Company के शेयर खरीद रहे हैं क्या उनका परफॉर्मेंस बाकी की दूसरी कंपनियों से अच्छा है। हमेशा वह Company ज्यादा Grow करती है जो अपने Sector की बाकी कंपनियों से अच्छा परफॉर्म कर रही है। Company के Future Products, Upcoming Project और उसके अलग अलग Plan के बारे में अच्छे से जानकारी इकट्ठा करें। 

Future Prospect को Analysis करें. 

Fundamental Analysis का सबसे बेस्ट एडवांटेज आप तभी उठा सकते हैं जब आप long term investment करने जा रहे हैं। यदि Short Span में आप इन्वेस्टमेंट करने जा रहे हैं तो वहां पर Fundamental Analysis उतना Effective साबित नहीं होगा। इसलिए मेरी यही सलाह रहेगी कि Fundamental Analysis का Use करके आप Long Term के लिए निवेश करें और साथ ही ऐसे Company में निवेश करें जिनके प्रोडक्ट 15-25 साल के Time Span में भी Useful रहे.

वही अगर आप Short term निवेश करके या share market trading से कुछ पैसा बनाने की सोच रहे है तो आप technical analysis ज़रूर करे।

क्या आप जानते है आप share market से बिलकुल कम रिस्क पर भी अच्छा रिटर्न mutual fund में SIP स्टार्ट कर सकते है। इसके लिए आप इस article को अवस्य पढ़े:- Mutual Fund kya hai व +7 invest tips जिसे आप म्यूचूअल फंड में अच्छा कमा सकते हो

सभी Aspect का समय समय पर निरीक्षण करें.

Company में इन्वेस्ट करने के बाद कभी भी आराम से बैठ ना जाए, बल्कि उसके बारे में हमेशा Update लेते रहें। Company की annual report उसको बारीकी से पढ़े और यह समझे कि क्या Company का भविष्य ठीक दिखाई दे रहा है? यदि हां तो आप उस पर अपना शेयर Continue रख सकते हैं, लेकिन कुछ भी गड़बड़ दिखते ही आपको तुरंत अपनी Securities बेच देनी चाहिए और यह तभी कर पाएंगे जब आप Proactive होकर काम करेंगे। 

सीखने पर Focus करें.

शुरुआती सफलता मिलने के बाद कभी यह न सोचें कि आपके पास अब पूरी नॉलेज आ चुकी है क्योंकि शेयर Market एक ऐसी जगह है जहां पर आप कभी भी पूरी एश्योरिटी के साथ नहीं कह सकते कि आप को प्रॉफिट ही होने वाला है। इसलिए हमेशा सीखते रहें, शेयर Market और इंवेस्टमेंट से जुड़ी जितनी अच्छी Books पढ़ सके, उतनी पढ़े।, क्योंकि इससे आपकी नॉलेज और ज्यादा Sharp होगी जिसे सही डिसीजन लेने की क्षमता में इजाफा होगा। 

Fundamental Analysis Types

फंडामेंटल एनालिसिस दो Type का होता है:- 

What is Quantitative Analysis? 

Company के बारे में ऐसी इनफार्मेशन जो Number, Graph, Ratio, Chart, Formula के जरिए बताई जा सकती है वह सभी Factor Quantitative Analysis में Consider किए जाते हैं। ये Fundamental Analysis का एक Part होता है। तो Quantitative Analysis के जरिए Company के किन-किन Activities की Study की जाती है चलिए वह भी जान लेते हैं।

Financial Statements

फाइनेंसियल स्टेटमेंट एक माध्यम है जिसके जरिए Company अपने फाइनेंशियल परफॉर्मेंस को Disclose करती है।कई Analyst, Company के Financial Statement को देखकर ही Investment का निर्णय लेते हैं।

Financial Statement के जरिए Company के balance sheets, cash flow statement और Income Statement की study की जाती है।

Income Statement

किसी Specific Time में Company का परफॉर्मेंस कैसा रहा यह जानने के लिए Income Statement का सहारा लिया जाता है। इनकम स्टेटमेंट में Revenue, Expenses के साथ-साथ इस Time Period में कितना प्रॉफिट हुआ, उसकी इनफार्मेशन भी दी हुई होती है। इसीलिए यह फंडामेंटल एनालिसिस का Important part बन जाता है।

Balance Sheet

बैलेंस शीट Company के Assets एंड Liabilities और Equity के बारे में उस Particular Time में क्या स्थिति है, उसकी जानकारी देता है। 

इसे बैलेंस शीट इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह तीनों Aspects नीचे बताए फार्मूले के अनुसार बैलेंस होना चाहिए।

Assets = Liabilities + Shareholders’ Equity

आपको बता दू कि Assets में वो सभी चीजें आती हैं जो Company का खुद का है, जैसे cash, inventory machinery और building. 

कर्ज का पैसा, Company अपने शेयरधारकों को जो पैसा देने का वादा करती है, वह सभी लायबिलिटीज के अंदर आते हैं। वही Equity का मतलब है वह टोटल अमाउंट जो उस Company के Owners ने बिजनेस के लिए Contribute किए हैं। 

Statement of Cash Flows

एक short Period में किसी Business में Case का जितना Input और Output होता है उसके बारे में सारी डिटेल हमें Cash Flow के जरिए मिलती है। इसमें Assets और  Equipment को खरीदने में जो खर्च होता है उसकी Details होती है।

यदि किसी से पैसे उधार लिए जा रहे हैं तो उसकी Detail भी इसमें होती है। साथ ही प्रतिदिन बिजनेस ऑपरेशन में जितना कैसे बनता होता है वह भी कैश फ्लो स्टेटमेंट में Mention होता है। 

कई Investor Cash Flow Statement को बहुत Important मानते हैं, क्योंकि कोई अकाउंटेंट Earning को Manipulate कर सकता है लेकिन उन Transaction को Manipulate करना लगभग Imposible है क्योंकि उसमें बैंक Involve हो जाती है।

What is Qualitative Fundamentals Analysis? 

इसमें Quality, Standard, Nature, Management जैसी Properties को देखा जाता है, जो Actual में सिर्फ महसूस की जा सकती हैं, उनका कोई डाटा नहीं है। तो ऐसे कुछ पैरामीटर्स नीचे दिए गए हैं:

Business Model

Company Actual में किस Business Model को फॉलो करके Earning कर रही है. यह जानना जरूरी है। जैसे एक Fast Food Company क्या Fast Food बेचकर पैसे कमा रही है या फ्रेंचाइजी देकर पैसे कमा रही है। 

Competitive Advantage

कोई Company Market में लंबे समय तक तभी टिक सकती हैं जब वह अपने competitor से एक नहीं बल्कि कई कदम आगे हो, जैसे Coca Cola या माइक्रोसॉफ्ट का उदाहरण देख सकते हैं जो अपनी Field में सबसे Best है लेकिन यह रातों-रात Best नहीं बने, बल्कि ये हर समय Competition Face करते आये है और उनसे उबरकर आज यहाँ है। तो ऐसी Company में निवेश करें जो अपने Competitor को Beat करके आगे बढ़ी हो।

Management

कई लोग इसे Most Important Factor मानते हैं, क्योंकि आप चाहे जितनी योजनाएं बना ले, चाहे जितने ही योग्य लोग आपकी Company में हो, Result अंत मे इस पर depend करता है कि आप योजनाओं को कितने अच्छे तरीके से Execute कर पाते हैं जो पूरी तरह Management के ऊपर निर्भर है। तो आप जिस Company में निवेश कर रहे हैं उसके Top Authority का Resume, Website में जाकर देख सकते हैं, उनके पुराने अनुभव को Analysis कर सकते हैं। 

Corporate Governance

Company Governance उन policies को Discribe करता है, जो Management, Shareholder और Director के बीच का  Relationship और Responsibility की Clearity देता है। हमेशा ऐसी Company में ही निवेश करें जिनकी बातों में ShareHolder के लिए transparency, Clearity हो और ethical Values हो।  

Industry

किस Industry की Company है यह समझना भी जरूरी है। उसके Market Share, Potential Customer, industry Wide Growth, business cycle  जैसे Parameter जो Industry से जुड़े उनकी पड़ताल कर लें।।

Fundamental Analysis के Tools:- 

इन Tools का उसे करके Fundamental Analysis किया जाता है:- 

Earning Per Share {EPS} 

Net Income में Preferred Share का Dividend घटाने के बाद जो Amount बचे, उसे Total Number Of Share से भाग देने पर EPS पता चलता है। 

Price Value to Book Value Ratio {P/B Ratio}

P/B Ratio से किसी Company के Market Valuation का पता चलता है। किसी भी Equity की Market Value अमूमन Book Value से ज्यादा होती है। यदि ये Value 1 के अंदर है तो ऐसे Share में Invest करना अच्छा माना जाता है। 

Price to Earning Ratio (P/E Ratio)

Company के एक Share का Price

और Per Share Earning के Ratio को P/E Ratio कहते है। Higher P/E Ratio Overvalued Share को दर्शाता है। P/E Ratio का महत्व तब बढ़ जाता है जब एक Indrustry के Similar Companies के बीच तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है।

Return On Equity

ROE = Net Income/Total Equity

Net Income को Total Equity के Divide करने से जो Result मिलता है वह ROE कहलाता है। किसी Company के Management Quality को Measure करने का ROE एक प्रमुख पैमाना है। 

Dividend Payout Ratio

यह आंकड़ा मुख्य रूप से यह बताता है कि Company हर share धारक को लाभ होने की स्थिति में कितना लाभांश देती है। 

Fundamental Analysis और Technical Analysis में अंतर

Fundamental Analysis और Technical Analysis दो ऐसी Method है जिनसे किसी भी Share या Financial Assets की Value Decide की जाती है लेकिन ये दोनों अपने आप में काफी ज्यादा अलग है।

FAQ

Fundamental Analysis kya hai व और इसका Objective क्या है? 

Fundamental Analysis किसी Company के Share का Valuation करके पता करता है कि उस Share की Market Value, actual Value से कितनी कम या ज्यादा है। इसके लिए उस Company के बारे उपलब्ध Financial Information को Analysis किया जाता है। 

Fundamental Analysis कितने प्रकार के होते है? 

Fundamental Analysis 2 Type के होते है Qualitative और Quantitative Analysis.
Fundamental Analysis के 3 Layer कौन से है? 
सबसे पहले Economic Analysis किया जाता है उसके बाद Industry का और फिर Company का analysis करते है। 

Fundamental analysis के Tools कौन से है? 

Analyst कई Tools Use करते है, जैसे कि spreadsheets, charts, graphs, financial reports, Ratio, Government Agency द्वारा जारी industries, economy, और market reports. 

Conclusion

अलग आपने Share Market में निवेशक के तौर पर अभी अभी कदम रखे है तो आपको Fundamental Analysis की बारीकियों को समझना बहुत जरूरी है। यहाँ मैंने आपको Detail में बताया कि Fundamental Analysis क्या है और Fundamental Analysis कैसे किया जाता है। उम्मीद है आपको कुछ सीखने को मिला होगा। 

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