“SEBI के नए नियम:

क्या ज़ेरोधा का ज़ीरो-ब्रोकरज मॉडल होगा समाप्त?”

भारतीय शेयर बाजार में एक प्रमुख नाम, ज़ेरोधा, ने अपने ज़ीरो-ब्रोकरज मॉडल के माध्यम से निवेशकों के बीच एक नई लहर पैदा की थी। लेकिन अब, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नए शुल्क नियमों के चलते, ज़ेरोधा को अपने इस लोकप्रिय मॉडल को समाप्त करने पर विचार करना पड़ सकता है।

SEBI के नए शुल्क नियम:

नए नियमों के तहत, ब्रोकरों को प्रति ट्रेड अधिकतम शुल्क की सीमा का पालन करना होगा, जिससे ज़ेरोधा जैसी कंपनियों के लिए ज़ीरो-ब्रोकरज मॉडल को जारी रखना मुश्किल हो सकता है।

ज़ेरोधा का ज़ीरो-ब्रोकरज मॉडल:

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ज़ेरोधा ने 2010 में अपने ज़ीरो-ब्रोकरज मॉडल की शुरुआत की थी। इस मॉडल के तहत, इक्विटी डिलीवरी पर कोई ब्रोकरज शुल्क नहीं लिया जाता था और अन्य सेगमेंट्स में बहुत ही मामूली शुल्क लिया जाता था।

नए नियमों का प्रभाव:

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SEBI के नए शुल्क नियमों के प्रभाव से ज़ेरोधा को अपने बिजनेस मॉडल में बदलाव करना पड़ सकता है। ज़ेरोधा के संस्थापक नितिन कामत ने अपने ब्लॉग में इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि नए नियमों के तहत कंपनी को अतिरिक्त वित्तीय भार का सामना करना पड़ेगा। इसके चलते कंपनी को अपने ज़ीरो-ब्रोकरज मॉडल को समाप्त करने पर विचार करना पड़ सकता है और इसके स्थान पर एक नया शुल्क संरचना लागू करना पड़ सकता है।

निवेशकों पर प्रभाव:

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अगर ज़ेरोधा अपने ज़ीरो-ब्रोकरज मॉडल को समाप्त करती है, तो इसका सीधा प्रभाव उन लाखों निवेशकों पर पड़ेगा जो अब तक बिना किसी ब्रोकरज शुल्क के ट्रेड कर रहे थे।